कुत्ते की सूंघने की क्षमता से अधिक क्यों होती है?
नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी? इस लेख में, हम इस विषय के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानेंगे.हज़ारों वर्षों से कुत्ता मनुष्य का वफादार दोस्त रहा है. इसमें सूंघने की अपूर्व धमता होती है, जिस रास्ते मे यह एक बार गुजर जाता है, उसी रास्ते में सुन्घ कर आ जाता है. सूंधने की अपूर्व क्षमता के कारण ही पुलिस, अपराधियों का पता लगाने के लिए कुत्तों के दस्तों को प्रयोग में जाती है.
क्या आप जानते हो कुत्तों की सूंघने की क्षमता मनुष्य से अधिक क्यों होती है?
हमारी नासिका के दोनों छेदों के अंदर लगभग 250 वर्ग - मिनीमीटर का पीले रंग का एक ऐमा क्षेत्र है, जिसमें लाखों की संख्या में कुछ विशेष प्रकार की गंध संवेदनशील कोशिकाएं है. इनको कैमोरिसेप्टर ( Chemo-receptor ) कहते हैं. इनकी संरचना बालों जैसी होती है.
हमारी नासिका के दोनों छेदों के अंदर लगभग 250 वर्ग - मिनीमीटर का पीले रंग का एक ऐमा क्षेत्र है, जिसमें लाखों की संख्या में कुछ विशेष प्रकार की गंध संवेदनशील कोशिकाएं है. इनको कैमोरिसेप्टर ( Chemo-receptor ) कहते हैं. इनकी संरचना बालों जैसी होती है.
ये सदा ही म्यूक्स ( Mucus ) नामक तरन पदार्थ में गीले रहते हैं. नाड़ियों द्वारा इनका सम्बन्ध मस्तिष्क में होता है, मस्तिष्क के इन भाग को आलफेक्टरी बल्ब ( Olfactory bulb ) कहते हैं. जब हम किसी वस्तु को सुंघते हैं, तो उसमें निकलने वाले का कण वायु के साथ कैमोरिसेप्टरों तक पहुंचते है.
यहां जाकर ये नाड़ियों में एक प्रकार की विद्युतधारा पैदा करते हैं. यही विद्युतधारा मस्तिष्क के आलफेक्टरी बल्ब तक पहुंचती है और हमें गंध का अनुभव कराती है.
किसी भी प्राणी की सूंघने की क्षमता आलफेक्टरी बल्ब के आधार पर निर्भर करती है. जिम प्राणी के आनफेक्टरी बल्ब का आकार बड़ा होगा, उसकी सुंघने की क्षमता भी उतनी ही अधिक होगी परीक्षणों से देखा गया है कि कुत्तों के आलफेक्टरी बल्ब का आकार मनुष्य के बल्ब में कहीं बड़ा होता है.
किसी भी प्राणी की सूंघने की क्षमता आलफेक्टरी बल्ब के आधार पर निर्भर करती है. जिम प्राणी के आनफेक्टरी बल्ब का आकार बड़ा होगा, उसकी सुंघने की क्षमता भी उतनी ही अधिक होगी परीक्षणों से देखा गया है कि कुत्तों के आलफेक्टरी बल्ब का आकार मनुष्य के बल्ब में कहीं बड़ा होता है.
यही कारण है कि कुत्तों की सुंधने की क्षमता अधिक होती है. एक दुसरा कारण यह भी है कि कुत्ते की नाक हमारी तुलना में अधिक गीली रहती है. यह गीलापन सुंघने में काफी मदद देता है.
कुते अपनी सूंघने की क्षमता का इस्तेमाल अपना शिकार और शत्रुओं का पता लगाने में करते हैं. मनुष्य भी कुते की सूंघने की इस क्षमता का उपयोग हजारों वर्षों से कर रहा है.
इस लेख में हमने जाना कुछ रोचक तथ्य इस विषय के बारे में, अगर आपको इस लेख से जुड़े कोई प्रश्न है या आप किसी और विषय के बारे में जनना चहते हैं तो हमें कमेंट कर के बताएं और यदि आपको हमारा ये लेख पसंद आया और आपको इस लेख से कुछ नया जनने को मिला तो निचे दिए गए सोशल मीडिया बटन को दबा कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ शेयर करें.
कुते अपनी सूंघने की क्षमता का इस्तेमाल अपना शिकार और शत्रुओं का पता लगाने में करते हैं. मनुष्य भी कुते की सूंघने की इस क्षमता का उपयोग हजारों वर्षों से कर रहा है.
इस लेख में हमने जाना कुछ रोचक तथ्य इस विषय के बारे में, अगर आपको इस लेख से जुड़े कोई प्रश्न है या आप किसी और विषय के बारे में जनना चहते हैं तो हमें कमेंट कर के बताएं और यदि आपको हमारा ये लेख पसंद आया और आपको इस लेख से कुछ नया जनने को मिला तो निचे दिए गए सोशल मीडिया बटन को दबा कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ शेयर करें.
0 टिप्पणियाँ